रविवार, 4 जनवरी 2015

दालें (Lentils)


दालें हिन्दुस्तानी खाने का एक आवश्यक और लोकप्रिय अंग हैं। ये खाने में स्वादिष्ट होती हैं। भारत में प्रायः चावल दाल के साथ ही खाया जाता है। पश्चिमी देशों में जो महत्व सूप का है भारत में वही महत्व दालों का है। जहाँ दालों में प्रोटीन की मात्रा भरपूर होती है, वहीं वसा याने कि फैट की मात्रा बहुत कम। दाल का महत्व हमारे देश में इतना अधिक है कि "दाल-रोटी चलना" जीवनयापन का पर्यायवाची बन गया है। उत्तर भारत में खाने में रोटी और चावल के साथ दाल और हरी सब्जी परोसने का चलन है तो दक्षिण भारत में दाल को सांबर के रूप में प्रयोग किया जाता है, और यह तो आप जानते ही हैं कि दक्षिण भारत में चावल को सांबर के साथ ही खाने का प्रचलन है। कहने का लब्बो लुआब यह है कि हिन्दुस्तान में दाल के बिना खाने की कल्पना ही नहीं की जा सकती।

हमारे देश में अनेक प्रकार के दालों का प्रयोग होता है जैसे कि उड़द दाल, मूंग दाल, तुअर दाल, मसूर दाल, चना दाल आदि आदि इत्यादि। दाल बनाने की विधियाँ भी अनेक हैं। कहीं दाल को एकदम पतला बनाया जाता है तो कहीं गाढ़ा। दाल को चाहे जिस प्रकार से भी बनाया जाये, पर दाल बनाने की विधियाँ बहुत सरल होती हैं। सर्वाधिक रूप से दाल को हल्दी और नमक डाल कर पानी में उबाल कर बनाया जाता है। हाँ दालों को पकने में समय कुछ अधिक ही लगता है, इसलिए दालों को प्रेसर कुकर में पकाने का प्रचलन अधिक है।

यदि दाल को बगैर प्रेसर कुकर के बनाना है तो इन बातों का ध्यान रखें -
  • दाल को कुछ घंटों तक भीगने के लिए रख दें ताकि वह जल्दी पके।
  •  दाल के पक जाने के बाद ही उसमें नमक डालें, पहले नमक डाल देने पर दाल देर से पकता है।

  • दाल पकते समय जो झाग निकलता है, उसे करछुल की सहायता से अलग कर के फेंक दें, अन्यथा वह झाग नीचे गिरकर आपके चूल्हे को बर्बाद कर सकता है।

  • दाल पकाते समय जरा सा तेल डाल देने से झाग कम निकलता है।
  • एक उबाल आ जाने के बाद आँच को कम करके दाल को मध्यम आँच में पकायें।

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